अब तक नही संभले
ठगे तुम ही गए हो आज तक कोई न फिर ठग ले
तुम्ही ने ठोकरे खाई मगर अब तक नही संभले
जिन्हें दुश्मन समझ बैठे हो तुम पूर्वज तुम्हारे है
जरा सी बात भी पल्ले नही पड़ती है क्यो पगले
जिन्हें था नाज हिंदुस्ता पे वो मोमिन कहा अब है
यहां दिखते जियादातर नकाबों में खड़े बगुले
जलाते हो हमारी माँ के दामन को बताओ क्यो
भला फिर चाहते हो क्यो वो आँचल में तुम्हे ढक ले
भुला कर अपनी जड़ को तुम स्वयं पर नाज करते हो
जरा मेरा हुनर तो देख “डागा” हम नही बदले