गीत/नवगीत

गाओ फिर गीत वही

इक सावन पलकों में बादल भर लाया था
गाओ फिर गीत वही जो उस दिन गाया था !!
भावुक मन को बहलाने की ,
घावों को भी सहलाने की ,
छंदों में मत कोशिश करना ,
बिखरे शब्दों को सजाने की ,
प्रिय तेरा संग साथ इस दिल को भाया था !
गाओ फिर गीत वही जो उस दिन गाया था !!
आँधी तूफानों से बचना बचाना
लहरों में नाव संभलकर चलाना
विनती परमेश्वर से बचना बचाना
अधरों पर हँसी लिए घर लौट आना
याद हमे कर लेना तुमने बिसराया था !
गाओ फिर गीत वही जो उस दिन गाया था !!

— रामालक्ष्मी

एम.डी.यस. रामालक्ष्मी

पति का नाम- एम.वी.यस.एन. मूर्ति शिक्षा- एम.ए. (हिन्दी), एम.फिल. (हिन्दी), डिप्लोमा इन फंक्शनल हिन्दी एंड ट्रांसलेशन, डिप्लोमा इन कम्प्यूटर (ए.पी.पी.सी.) पता- फ्लैट नं टी2, अखिला एन्क्लेव, रेड क्राॅस स्ट्रीट, गाँधी नगर, काकीनाडा - 530005 पुरस्कार- 1. काव्य रंगोली मातृत्व सम्मान 2. मुक्तक लोक साहित्य भूषण सम्मान 3. काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान प्रकाशन- अंतरा शब्द शक्ति, काव्य रंगोली, लोकजंग, मातृभाषा, धरा साक्षी, अनु गुंजन आदि पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित ईमेल- mdsrl79@gmail.com