कविता
जल रही है “दिल्ली” जल रहा है चमन
रोक लो इसे कोई जलने ना दो देश का अमन
खून सभी का एक है सब की पीड़ा है एक
मरने वाले बच्चों के माँ बाप की तरफ देख लो
जब ये मंजर बन्द होगा करने वाला दंग होगा
जिसके साथ किया हमने यह कल वह मेरे संग होगा
माफ़ खुद को क्या कर पाऊँगी साथ तेरे क्या रहे पाऊँगी
या सारी उम्र अब पश्चाताप कर कर मर जाऊंगी
कौन हिन्दू कौन मुस्लिम कौन सिख कौन ईसाई
विश्व को दिखला दो “हम सब है भाई-भाई
— किरण मुकेश व्यास