मेरा अस्तित्व
सांसों में सिसकियां
हृदय में उदासी
कहां गया मेरा अस्तित्व
करती है अंखियां ये तलाशी
अनगिनत प्रश्न छुपाए
मुझसे पूछें सपनों की दासी
मन को धीरज कब तक
कब खत्म होगी ये तलाशी।।
— मनोज बाथरे चीचली
सांसों में सिसकियां
हृदय में उदासी
कहां गया मेरा अस्तित्व
करती है अंखियां ये तलाशी
अनगिनत प्रश्न छुपाए
मुझसे पूछें सपनों की दासी
मन को धीरज कब तक
कब खत्म होगी ये तलाशी।।
— मनोज बाथरे चीचली