गीतिका/ग़ज़ल

बेवफ़ा या बावफ़ा है आईना

कैसी फ़ितरत का बता है आईना

बेवफ़ा या बावफ़ा है आईना

फिर किसी मज़लूम ने की ख़ुदकुशी

सामने बिखरा पड़ा है आईना

किसलिए सूरत नहीं देखे कोई

बाद मुद्दत के दिखा है आईना

ज़ुल्म करके मुँह दिखाएगा इसे

तो तेरी ख़ातिर क़ज़ा है आईना

जाने ये किस किस की है मंज़िल मगर

असलियत में रास्ता है आईना

 

 

बलजीत सिंह बेनाम

सम्प्रति:संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी हाँसी:125033 मोबाईल:999626610