कविता
बेटियां भी होती हैं हमारे समाज का हिस्सा,
इन्हें भी खुले आसमान में खुलकर जीने दो!
बन सकती है यह भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति देश की,
इन्हें मत रोको अब और इन्हें भी पढ़ने लिखने दो!
कभी अध्यापक तो कभी पुलिस या डॉक्टर बनकर,
आज भी देश के प्रति अपना कर्तव्य निभा रही है!
इनके पंखों को भी दो उड़ान और इन्हें उड़ने दो,
करेंगी सेवा मां भारती की इन्हें भी सेवा का मौका दो!
कब तक यूं मारते रहोगे इन्हें मां के कोख में,
भक्षक नहीं बल्कि इनके रक्षक बनो संपूर्ण जगत में,
बेटियों ने ही बढ़ाई संपूर्ण जगत में देश की पहचान है,
बेटियां कोई कलंक नहीं अरे यही तो हमारा असली मान है!