कविता

ये जीवन

जीवन है खेल कठपुतली का
वो ऊपर बैठा सूत्रधार,
कभी हँसाता, कभी रुलाता
फिर बुलंदियों पर पहुँचता
कभी ख़ाक में मिलाता
जीवन है खेल कठपुतली का
कभी अपनों को पराया कर जाता
कभी अजनबियों में कोई अपना मिल जाता
डोर खींचता, कभी ढील छोड़ देता
यहां से उठाकर, वहां गिराता
और गिरा के फिर कभी गले लगाता
एक दिन तो, ये डोर छूट ही जानी है
अपने अपने किरदार निभाकर
एक ही बक्से में ही रखे जाने है सभी..सुमन”Ruhaani”

सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

मेरा जन्मस्थान जिला पाली राजस्थान है। मेरी उम्र 45 वर्ष है। शादी के पश्चात पिछले 25 वर्षों से मैं सूरत गुजरात मे रह रही हुँ । मैंने अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में m. com किया था ..2012 से यानि पिछले 6 वर्षों कविताओं और रंगों द्वारा अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुचने का प्रयास कर रही हुँ। पता- A29, घनश्याम बंगला, इन्द्रलोक काम्प्लेक्स, पिपलोद, सूरत 395007 मो- 9227935630