आत्मकथा

सारिका भाटिया की कहानी – 1

(1) जन्म से पहले

मेरी मां मुझे बताती थी जब तुम्हारा जन्म होना था तो‌ काफी मुश्किल आयी थी। सब मेरे परिवार में चिंतित थे। यहां तक दादाजी भी। यह तब हुआ था कि जब मां का गर्भ 3,5 महीने का था। अप्रैल मई का महीना था‌, अचानक मेरी मम्मी की बुआ के बेटे की पत्नी जोकि डाक्टर थी मेरी मां को मिली। उन्होंने चेक किया तो‌ उन्होंने मेरी नानी से कहा कि अपनी बेटी को डाक्टर को दिखा दो। पेट मे‌ं कुछ भारी सा लग रहा है । मेरी मां और नानी को चिंता हुई ‌और उनके कहने पर डाक्टर के पास गये। उस वक्त अल्ट्रासाउंड नहीं मशीन नहीं होती थी। मेडिकल टेक्नोलॉजी तेज‌ नहीं थी। तो जब डाक्टर ने देखा और चेकअप एक्स रे कराया, तो हैरान हो गई। ऊपर 7 .5 किलो की पानी की थैली थी और मैं नीचे थी।। एक बच्चा कैसे जी रहा है डाक्टर हैरान थे।

और डाक्टर ने कहा था बच्चा बच नहीं पायेगा और आपरेशन करने के बाद होगा। डाक्टर ने कहा किआपरेशन कराना होगा, वरना मां ‌और बच्चा नहीं बच पायेंगे। परिवार में सब चिंता में थे कि क्या करें। समय बीत रहा था।

अचानक जून में दादा जी की चल बसे। दादा जी को मेरी मां और बच्चा की चिंता थी। मेरी मां बताती है आज भी, पर मैं दादाजी से मिल नहीं सकी, क्योंकि वे जून में चल बसे थे। मैं नवंबर में दिवाली के अगले दिन पैदा हुई थी, गोवर्धन पूजा के दिन।दादी एक साल पहले ही गुजर गई थी। इससे मैं दादा दादी से नहीं मिल सकी। मेरी मां बताती है मुझे कि तुम चाहे दादा दादी से नहीं मिली हो। लेकिन तुम्हारा व्यवहार (character) उन पर ही गया है। दादा को सरकार की ओर से राय उपाधि मिली हुई थी क्योंकि मेहनती काम करते थे, पोस्ट ऑफिस में काम करते थे ‌। उनका नाम बरकत राय भाटिया रखा गया था।

उसके बाद आपरेशन कराने के लिए  सभी हॉस्टिपल मदद ली। पर सब डाक्टर कराने से मना कर रहे थे, क्योंकि सभी ने ऐसा पहला केस देखा था। मेरी बुआ की सहेली दिल्ली के सरकारी लेडी हार्डिंग हॉस्टिपल में थी। मेरी मां की भाभी डाक्टर सुधा मारवाह सीनियर डाक्टर थी, वो भी वहीं थी। उन्होंने कहा आप BLK हॉस्टिपल चल जाओ। सीनियर डाक्टर डॉ सहारन से मिलो। तो उन्होंने मेरी मां का आपरेशन किया। जब आपरेशन हुआ तो डाक्टर हैरान थे कि मैं बच गई हूं। सब मना कर रहे थे। सरकारी हॉस्टिपल बंद थे। निजी हॉस्टिपल खुला हुआ था। आपरेशन नहीं होता तो न मैं बच पाती, न मां या हम दोनों में एक को‌‌ जाना था।

ये कहानी सुनकर मां की हिम्मत को सलाम करती हूँ। लेकिन आपरेशन के बाद सब परिवारी चिंता में थे कि मां तो ठीक है, पर बच्चा ठीक है या नहीं। डाक्टर ने कहा था कि बच्चा ठीक है। फिर भी डाक्टर ने अगले दिन हॉस्टिपल आने का बोला । मेरी बुआ जी और मां को जाना था। बुआ भूल गयी थी हॉस्टिपल जाना। दादाजी उस वक्त चल बसे थे, पर सब जानते थे मेरी मां और बच्चा के बारे में। बुआ जी को सपने में दादाजी ने कहा कि हॉस्टिपल जाओ, देर मत करो। इसका मतलब कि दादाजी सब देख रहे थे। फिर बुआ जी और मां हॉस्टिपल गये । डाक्टर के पास एक छोटी मशीन होती थी। तो डाक्टर ने बच्चे का heartbeat सुनाया। डाक्टर बोली- बच्चा ठीक है। चिंता की बात नहीं है। तब सब परिवार को राहत मिली।

मैं आज हैरान हूं कि क्या वो मैं हूं। मैंने सोचा नहीं था कि मैं इस दुनिया में आऊंगी या‌‌ नहीं। लेकिन डाक्टर ने इतना कहा था कि मेरे जन्म होने के बाद कुछ प्रॉब्लम शरीर में होगा। वो‌ प्रॉब्लम कान में हो गयी।

डिलिवरी तो नार्मल हुई थी और बहुत कमजोर थी। डेढ़ साल शरीर से कमजोर थी। मेरे दोनों भाई मुझे बहुत प्यार करते हैं। मैंने अपनी छोटी-छोटी उंगली से पहले भाईदूज बनाया। फिर मेरी मां मुझे बंगला साहिब ले जाती और मुझे नहलाती और जल पिलाती।

धीरे धीरे समय गुजरता गया। डाक्टर ने कहा था ध्यान रखना। बहुत ध्यान रखा था मेरे मम्मी पापा ने।

(2) बोलने की समस्या

एक दो साल की हुई तो उस वक्त बच्चा बोलना शुरू करता है। लेकिन मैं तो 5 साल तक नहीं बोली। मेरे मां बाप चिंता में थे। डाक्टर ने कहा इसका इलाज ‌नहीं है, ये इसी तरह रहेगी। सब डाक्टर को दिखाया था। मेरे पापा माता रानी में विश्वास नहीं करते थे। अचानक उन्होंने मेरी मां को बोला- ‘पैकिंग तैयारी करो। माता वैष्णो देवी चलो।’ मेरी मां हैरान थी, फिर भी गये। वहां जो हुआ उससे सब हैरान रह गये। बाण गंगा में सब नहा रहे थे। तब मैं 5 साल की थी। अचानक मैंने अपनी आवाज में ‘जय माता दी’ निकाला। पापा मां हैरान रह गये। इस शक्ति से हैरान हूं, आज भी।

जब घर आये तो मां मेरी आवाज सुनकर खुश थी, लेकिन ज्यादा बोलती नहीं थी। बस पापा बोलती थी। तब हम दिल्ली नारायणा में रहते थे। वहीं नारायणा में एक पड़ोसी स्कूल में प्रधानाध्यापक (प्रिंसीपल) थी। उन्होंने कहा कि आप इसे स्कूल भेजें। पटेल नगर में पद्मश्री डाॅ प्रेम किशोर कक्कड़ डाॅक्टर थे। उनको राष्ट्रपति सम्मान मिला हुआ था। उनसे इलाज के लिए बात की कि दाखिल कर लें, यह थोड़ा बोलना शुरू कर दे। उन्होंने दाखिल तो कर दिया था, पर इलाज का कोई असर‌‌ नहीं पड़ा था, क्योंकि मैं किसी के प्रश्न का जवाब ‌नही देती थी। चुप रहती थी। बस ‘पापा’ बोलती थी और कुछ ‌नही।

सारिका भाटिया

जन्म तिथि-08/11/1980 जन्म स्थान- दिल्ली पिता का नाम- late भोज राज भाटिय़ा मां का नाम- नीलम भाटिया भाई- दो भाई शैक्षणिक योग्यता- (1) बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान दिल्ली यूनिवर्सिटी मैत्रेयी कॉलेज 2002 (2) एम ए (राजनीति विज्ञान) दिल्ली यूनिवर्सिटी दौलत राम कॉलेज 2004 (3) Bachelor of Library and Information Science (BLIS) IGNOU 2005 (4) Cerficate in Computing IGNOU 2006 (5) Primary teachers Training course 2013 Delhi अनुभव- (1) Teacher ( Udayan Care (NGO) 2004, 3 साल काम किया। (2) Insurance agent Hdfc 2005 -2007 (3) Daycare day boarding teacher Eurokids playschool Delhi Mayur vihar delhi 2010- 2013 वर्तमान में- 1) उपप्रधान (बाह्य), विकलांग बल 2) अध्यापिका, (गरीब बच्चों को पढाना), निर्भेद फाउंडेशन गाजियाबाद ईमेल - [email protected] रुचियाँ - (1) पढ़ना, (2) बच्चों को पढ़ाना, (3) गाना, आध्यात्मिक संगीत सुनना, (4) समाज सेवा (5) ड्राइंग पेंटिंग, anchor stitch kits,art and craft , (6) सकारात्मक विचार (positive thought) पढ़ना।