कविता

ये भूख कहाँ मिलती है?

भूख ये मिलती कहाँ है?
आलीशान बंगलो
व महलों में
ये मिलती है।
झोपड़ियों में
चिथड़ों में लिपटे
नरकंकालों में
भूख से बिलखते बच्चें
बेबस,लाचार बाप
ये कहाँ मिलते हैं।
महलों में
ये मिलते हैं
अन्न उपजाते किसान
के घर मे
बर्बाद फसल को देख
रोता अन्नदाता
अमीरों के आगे
फैलते हाथ
ये कहाँ मिलते है
विलासिता से भरे घरों में
ये मिलते है।
मजदूर के घरों में
दो वक्त की
रोटी के जुगाड़ में
दिनभर खटते हैं
तब जाके दाना पानी
घर ले जाते हैं
भूख ये कहाँ मिलती हैं।
हवाई जहाज से आते
अमीरों में
ये मिलती हैं।
पटरी, सड़को पर बेसुध
सोये श्रमिकों में
भूख ये मिलती कहाँ हैं…..?
— गरिमा राकेश गौतम

गरिमा राकेश गौतम

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