ग़ज़ल
जब मिलो हाथ हम से मिलाया करो
सब भुला के गले से लगाया करो
साथ रह गम हमें भी सताया बहुत
साथ रह तुम मिरे गम भुलाया करो
सूख जाये नही बाग के पेड़ सब
बाग में आ मिरे सींच जाया करो
रात भर जाग जिसने सुलाया हमें
जागकर पैर माँ के दबाया करो
ना मिलेगी खुशी जिन्दगी में कहीं
दिल किसी का कभी ना दुखाया करो
याद कर के उसे रो रहे रात भर
रात भर आँख को ना रुलाया करो
हो गये है खफा आज फिर हरसुदी
प्यार से बात कर के मनाया करो
— शिवेश हरसूदी