अर्थ
अर्थ के बिना सब व्यर्थ है
ऐसा हमको
घटित हो रहे
परिदृश्य से लग रहा है
क्योंकि अर्थ की
ही जद्दोजहद में
इंसान दर-ब-दर की
ठोकरें खाकर भी
मीलों सफर कर रहा है
उसी अर्थ के लिए।।
अर्थ के बिना सब व्यर्थ है
ऐसा हमको
घटित हो रहे
परिदृश्य से लग रहा है
क्योंकि अर्थ की
ही जद्दोजहद में
इंसान दर-ब-दर की
ठोकरें खाकर भी
मीलों सफर कर रहा है
उसी अर्थ के लिए।।