बसेरा ना जले
कभी किसी का बसेरा ना जले ।
तेरा ना जले, मेरा ना जले। ।
छोटा सा जीवन चार पहर ।
आधा गाँव सा आधा शहर ।
वो पावन सवेरा ना जले ।
कभी किसी का बसेरा ना जले। ।
पुरखों की थाती या अपनी कमाई ।
जिसे सँवारने पूरी ज़िंदगी गवाँई ।
मान-सम्मान का घेरा ना जले ।
कभी किसी का बसेरा ना जले। ।
दुख का साथी सुख की छाँव ।
एक यही घर एक यही गाँव ।
शांति-सुकून का डेरा ना जले ।
कभी किसी का बसेरा ना जले ।
तेरा ना जले , मेरा ना जले। ।
— टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’