कविता

वक्त

वक्त बदलेगा,
सब कुछ बदल जाएगा,
आज तेरे साथ हूं,
फिर तेरे सामने हूंगा,
आज तेरी नजरों के सामने हूं ,
फिर सामने होते हुए भी दूर हूंगा,
आज तेरे साथ चल रहा हूं,
फिर एक नए पथ पर हूंगा ,
आज तेरी यादों में हूं,
फिर यादों से कोसों दूर हूंगा ,
आज तेरी हंसी की वजह हूं ,
फिर तेरी खामोशी का कारण हूंगा,
आज सिर्फ तेरा हूं,
फिर पता नहीं किसका हूंगा,
मैं तो वही हूं और वही रहूंगा,
बस वक्त बदल जाएगा,
साथ चलने वाला हमसफ़र
कोई और होगा
बस तुम नहीं होगे।

— अमित डोगरा

अमित डोगरा

पी एच.डी (शोधार्थी), गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर। M-9878266885 Email- [email protected]