कविता

प्यार का मान होती हैं राखियाँ

सनेह के रस भाव में पगी होती हैं राखियाँ,
बहन-भाई के प्यार का मान होती हैं राखियाँ।

यूं तो रेशम का एक धागा ही होती हैं ये,
पर बहन का स्वाभिमान होती हैं राखियाँ।

दिया जाता है बहन को रक्षा का वचन,
इसी एहसास का आभार होती हैं राखियाँ।

सोना – चाँदी हीरे – मोती इन सबसे दूर,
बहन के सम्मान का भाव होती हैं राखियाँ।

कुमकुम तिलक, बांध कर रेशम का धागा,
दुआ सलामती का सूत्र होती हैं राखियाँ।

बहन – भाई का रिश्ता होता है अनमोल
जूली पावन पर्व पर बांधने होती हैं राखियाँ

जूली परिहार

जूली परिहार

टेकचंद स्कूल के पास अम्बाह, मुरैना(म.प्र.) मोबाइल नं-8103947872 ईमेल आईडी-julieparihar123@gmail.com