” सुबह उठ चले तो राम , शयन पर भी राम हैं “
गीत
” सुबह उठ चले तो राम , शयन पर भी राम हैं ” .
जाने कितने ग्रन्थ हैं , राम पर लिखे गये .
जाने कितने काव्य हैं , राम पर रचे गये .
मनभावन है सलिल , राम का ही नाम है ,
सबके अधरों पर बसा , राम सिर्फ राम है .
राम एक चरित्र है , जिसको जी रहे हैं हम .
राम नाम है सुधा , जिसको पी रहे हैं हम .
राम ह्रदय में बसे है , गुंजरित सा नाम है ,
सुबह उठ चले तो राम , शयन पर भी राम हैं .
राम अगर कामना तो , राम वंदना भी हैं .
कर्म गर प्रधान हैं , तो कर्म चाहना भी हैं .
कर्म वीर हम हुए तो , भेद ये जान गये ,
राम चाहना अगर तो , वंदना भी राम है .
राम सत्य से बंधा है , प्राण है न मोह का .
राम अगर आलिंगन , नाम है बिछोह का .
प्रेम पगे राम हैं , तो प्रेम से परे भी हैं ,
चाहे जितने प्रश्न खड़े , समाधान राम हैं .
खल भंजक जननायक , सबके वे प्राणप्रिय .
सिय के आराध्य सदा , सबके हैं बसे हिय .
वंदन जन जन करें हैं , सभी जपे राम हैं ,
मर्यादा जिसने गही , पुरुषोत्तम राम हैं .
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )