कवितापद्य साहित्य

‘रवि’ की ‘किरण’, जन्मदिन की बधाई

आज 13 अगस्त मेरी पत्नी किरण का जन्मदिन है, संयोग कि मेरा नाम रवि (सूरज) और उसका नाम किरण है।  जब उसके लिए कुछ शायरी की, तो कह रही थी, लगता है आपने नवभारत में शायरी करना छोड़ दिया है, इसीलिए मुझ पर शायरी कर रहे हो। मुझे सूझा, क्यों ना उसके जन्मदिन पर रवि (सूरज) और किरण की शायरी पर ही एक रचना नवभारत में भेज दूँ।  लीजिये रवि और उसकी किरण पर शायरी।

 

याद है हमें हमारे इश्क की शुरुआत,

13 अगस्त के दिन की है बात ।

‘जन्मदिन मुबारक हो आपको’ कहकर,

पहली बार की थी मैनें आपसे बात ।

 

लाल गुलाबी रंग है, झूम रहा संसार है,

सूरज की किरण खुशियों की बहार है।

चाँद  की चांदनी अपनों का प्यार,

मुबारक हो आपको जन्मदिन मेरे यार।

मैं सूरज (रवि) और तुम किरण उसकी

अलग ही है रौशनी जिसकी

जन्मदिन पर तारे भी उतरेंगें जमीन पर

देखें, महफ़िल सजेगी किस किसकी

ये दिन ये महीना ये तारीख जब जब आई,
हमने प्यार से जन्म-दिन की महफ़िल सजाई,
हर शम्मा पर नाम लिख दिया तुम्हारा,
इसकी रोशनी में चाँद जैसी तेरी सूरत समायी

 

दिल से निकली है दुआ हमारी,

जिंदगी में मिले खुशियां आपको ढेर सारी,

गम न दे खुदा कभी आपको,

चाहे तो एक ख़ुशी कम कर ले हमारी।

 

तुम्हारी मुस्कान कभी होंठों से ना छूटे,

जिंदगी में कभी कोई तुमसे न रूठे,

ईश्वर की कृपा हो तुम पर इतनी,

आसमान के तारे भी तुम्हारी मर्जी से टूटें।

 

दिल से मेरी दुआ है,

कि खुश रहो तुम,

मिले न कोई गम जहां रहो तुम,

समंदर कि तरह है दिल गहरा तुम्हारा

सदा खुशियों से भरा रहे दामन तुम्हारा।

 

‘किरण’ चाहे सूरज (रवि) की हो या आशा की,

जीवन के सभी अन्धकार को मिटा देती है।

मैं लिख दू तुम्हारी उम्र चाँद सितारों से..
मैं मनाऊ जन्मदिन तुम्हारा फूल बहारों से,
ऐसी खूबसूरती दुनिया से लेकर आऊ मैं,
कि सारी महफ़िल सज जाए हसीं नजारो से।

सूरज की किरणे तेज दे आपको,
खिलते हुए फूल खुशबू दे आपको,
हम जो देंगे वो भी कम होगा,
देनेवाला जिंदगी की हर खुशी दे आपको

हर ख़ुशी ख़ुशी मांगे आपसे,
जिंदगी जिंदा दिली मांगे आपसे,
उजाला हो मुक़द्दर में आपके इतना,
की चाँद भी रोशनी मांगे आपसे.

खुदा बुरी नज़र से बचाए आप को,
चाँद सितारों से सजाए आप को,
गम क्या होता है ये आप भूल ही जाओ,
खुदा ज़िन्दगी मे इतना हँसाए आप को.

तोहफा ऐसा तुझे आज मेरा दिल खोल देता हूँ,
ये हसीन मौका आज नहीं खोता हूँ।
अपने दिल की बात सबके सामने बोल देता हूँ ।
और तुम्हारे जन्म दिन की शुभ कामनाये देता हूँ.

इतनी सी मेरी दुआ क़बूल हो जाये
की तेरी हर दुआ क़बूल हो जाये
तुझे मिले जन्मदिन पर लाखों ख़ुशियाँ
और जो तुम चाहो रब से
वो पल भर में मंज़ूर हो जाये

 

चाहे धरती घूमना भूल जाये,
सूरज निकलना भूल जाये,
पंछी उड़ना भूल जाये,
ये दिल धड़कना भूल जाये,
पर मेरे हमसफ़र इस शुभ दिन को

हम कभी ना भूल पाए।

 

किरण किरण उठो,

तुम्हें सूरज के साथ उभरना है,

आज जनम दिन है तुम्हारा

जगत में रंग भरना है।

 

खुदा करे हर रात चाँद बन के आये,

दिन का उजाला शान बन के आये,

कभी दूर न हो आपके चेहरे से हंसी,

नया दिन ऐसा मेहमान बन के आये।

 

सूरज की पहली किरण ख़ुशी दे आपको,

दूसरी किरण हंसी दे आपको,

तीसरी तंदरुस्ती और कामयाबी दे

सब कुछ मिले आज, और हमेशा, आपको।

 

जो तुम्हें सच में चाहेगा,

वो तुमसे कुछ नहीं चाहेगा।

 

तुम बस उलझे रह गए हमें आजमाने में

और हम हद्द से गुजर गए तुम्हें चाहने में।

 

तुम कभी कभी यूँ किया करो,

छोड़ो मेरी शायरी, दिल पढ़ लिया करो।

 

मेरी दुआ है के खुश रहो तुम,

मिले न कोई गम जहाँ भी रहो तुम।

समंदर की तरह दिल है गहरा तुम्हारा,

खुशिओं से भरा रहे दमन तुम्हारा।

तुम जो कहो वह हर खवाहिश पूरी हो तुम्हारी,

खुदा से बस यही दुआ है हमारी।

तोहफा क्या दूँ तुम्हें दुआओं के सिवा,

कि खुदा रहे तुम से राज़ी सदा ।

 

काश कुछ अल्फ़ाज़ मुझे लिखने आ जाएँ……
ताकि तुम क्या हो मेरे लिए ये हम तुम्हें बता पाएँ

 

कुछ लोग धर्म के नाम पर लड़ते हैं,

कुछ धन के नाम पर, कुछ जाति के नाम पर,

हम पति पत्नी ही हैं

जो निस्वार्थ भाव से बेवजह लड़ते हैं।

 

ना जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम,

हम तो वो लिखते हैं, जो तुमसे कह नहीं पाते।

 

हम जी भी सकते थे, अगर मरते न तुम पर।

 

कभी कभी ऐसा भी होता है

यादों का असर जरा देर से होता है

हम कुछ नहीं सोचते आपके बारे में

पर हमारी हर बात में आपका ही जिकर होता है।

 

बात ऐसे करो कि जज्बात कम ना हों,

ख्याल ऐसे रखो, कभी गम ना हो,

दिल में इतनी जगह दे देना हमें,

कि खाली खाली सा लगे जब हम ना हों।

जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक

 

जब अपनी ही बीवी से प्यार होने लगे तो समझो बुढ़ापा आ गया है।

 

[email protected]

रविन्दर सूदन

 

रविन्दर सूदन

शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम् एस-सी । रक्षा मंत्रालय संस्थान जबलपुर में २८ वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया । वर्तमान में रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ ।

2 thoughts on “‘रवि’ की ‘किरण’, जन्मदिन की बधाई

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय गुरमेल जी, सादर नमन।
    आप तो जज्बातों के बादशाह हैं। आपकी सीधी सरल भाषा आपके दिल से निकली सरल मासूम आवाज गजब ढा देती है। बहुत बहुत धन्यवाद।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    रविंदर भाई , इतना बड़ा तोहफा तो कोई हो ही नहीं सकता जो आप ने भाबी जी को दिया है . हम तो सिर्फ जन्म दिन की वधाई ही दे सकते हैं . हरिमंदिर साहब के नजदीक खड़े आप दोनों कितने अछे लगते हैं .बहुत ख़ुशी हुई यह देख कर . रही बात जो आप ने लिखा है कि कुछ लोग धर्म के नाम पर लड़ते हैं,

    कुछ धन के नाम पर, कुछ जाति के नाम पर,

    हम पति पत्नी ही हैं

    जो निस्वार्थ भाव से बेवजह लड़ते हैं। तो भाई , यह रिश्ता ही ऐसा है कि पता नहीं जिंदगी में कितनी दफा लड़े होंगे लेकिन यह याद ही नहीं कि किस बात पर लड़े थे . मेरी पत्नी साहिबा हर रोज़ लड़ती है लेकिन याद ही नहीं कौन सी बात थी . एक बात यह भी है कि पत्नी तकरार करती ही रहे तो घर जिंदा रहता है . हम दोनों की तरफ से इस शुभ दिन की आप दोनों को लाख लाख वधाई और ढेरों शुभ कामनाएं .

Comments are closed.