गीत/नवगीत

कलाधर छंद गीत : एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये

हर्ष व्याप्त यत्र तत्र राम के सुस्वागतार्थ,
गीत सर्व मंगली सदा सदैव गाइये।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य,
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
लोभ मोह काम क्रोध शत्रु हैं बड़े विराट
राम नाम जाप से विकार ये भगाइए
शांत चित्त धैर्यवान वीतराग हो विचार
राम में लगे रहे विधान ये बनाइये
अंधकारहारिणी जला चिराग का प्रकाश,
ध्यान ज्योति रूप, आत्म शक्ति को जगाइए।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
हो धनाढ्य या विपन्न रक्त तो समान रंग,
विश्व ये कुटुंब एक, भ्रातृ बंधु मानिये।
राम से समस्त विश्व, राम में सदा विलोप,
जीव जंतु वृक्ष मूल राम अंश जानिये।।
जाप राम नाम का, करो मिला जुला प्रयास,
आस का प्रकाश व्याप्त भावना जगाइये।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य,
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
— अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]