कलाधर छंद गीत : एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये
हर्ष व्याप्त यत्र तत्र राम के सुस्वागतार्थ,
गीत सर्व मंगली सदा सदैव गाइये।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य,
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
लोभ मोह काम क्रोध शत्रु हैं बड़े विराट
राम नाम जाप से विकार ये भगाइए
शांत चित्त धैर्यवान वीतराग हो विचार
राम में लगे रहे विधान ये बनाइये
अंधकारहारिणी जला चिराग का प्रकाश,
ध्यान ज्योति रूप, आत्म शक्ति को जगाइए।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
हो धनाढ्य या विपन्न रक्त तो समान रंग,
विश्व ये कुटुंब एक, भ्रातृ बंधु मानिये।
राम से समस्त विश्व, राम में सदा विलोप,
जीव जंतु वृक्ष मूल राम अंश जानिये।।
जाप राम नाम का, करो मिला जुला प्रयास,
आस का प्रकाश व्याप्त भावना जगाइये।
अंधकार दूर हो प्रकाशमान हो भविष्य,
एक दीप प्रेम पूर्ण द्वार पे लगाइये।।
— अनंत पुरोहित ‘अनंत’