श्री चरण
जब से श्री चरण पड़े गोकुल
बिसराय गई सुधि ब्रज बनिता
किन्नर, सुर, नाग भये मोहित
उपवन महका बहकी सरिता
सुनकर मुरली की मधुर तान
अविरल यमुना ठहराय गयी
जो चली सुगन्धित मंद पवन
हर कली कली मुस्काय गयी
सब खग,मृग,मीन,अधीर भये
अरु मगन भये गैया ग्वाले
दर्शन के प्यासे नयनन सो
अविरल गिरते जल पतनाले
कमल नयन मुख निरखत ही
चकवा चकवी मन शान्त भये
बगुलों की पंक्ति सजी सुंदर
प्रभु की छवि से सब कान्त भये
पूनम की उजली रैन खिली
आभूषण नव श्रृंगार भये
सोलह सहस्त्र गोपी राधा
संग मनमोहन महारास भये।।