मेरे जीवन की डोर- मेरी सखियाँ
मेरे जीवन की डोर
और उसके दो
अत्यंत महत्वपूर्ण छोर!
धुंध और अंधकार
को दूर भगा,
लाए जीवन में भोर!
जिन्होंने हर क्षण
थामा मेरा हाथ
और ले गए खुशी की ओर!
कठिन राहों पर भी,
वे अडिग होकर खड़े रहे
चाहे कोई लगाले ज़ोर!
हताश और बोझिल
न होने दिया मुझे,
जितना भी हो शोर!
जब मूसलाधार वर्षा थी
हर जगह,
दिखाया इंद्रधनुष की ओर
उन दो सखियों ने
हमेशा साथ निभाकर,
कभी न होने दिया मुझे कमज़ोर!
~रूना लखनवी