शिक्षा मंदिर में जला, सदा ज्ञान का दीप ।
मोती गढ़ते रात दिन, बना स्वयं को सीप
बहते शिक्षक हर दिशा, बनकर,अमृत धार।
ज्ञान सरिता निज बहा, हरित करे संसार
कोरी मिट्टी को गढ़े,दे दे कर निज थाप।
इनकी थपकी में लखें, इनकी ममता आप।।
निज साँसों के दीप से,चमकाये संसार।
ऐसे गुरुवर को नमन, ‘आशा’ बारम्बार।।
माँ पापा के बाद की सदा हमारी फ़िक्र।
उन शिक्षक का आज मैं, करूँ न कैसे ज़िक्र।।