वादें
बचपन मे सोचती थी कि कसमें-वादें
निभाने के लिए किये जाते है,
तो टूटते क्यूं हैं
मगर जिन्दगी आगे बढती गई
और समझाती गई कि
इनकी मौजूदगी वहीं होती है
जहाँ विश्वास की कमी होती है
जहाँ विश्वास हो वहाँ इनकी
कोई जरुरत ही नही रहती…
— सुमन”रुहानी”