मुक्तक/दोहा

मुक्तक

“मुक्तक”

सु-लोहड़ी खिचड़ी गई, अब शुभ प्रयाग स्नान।
गंगा जी के धाम में, बिन आधार न दान।
बिनु कोरोना जाँच के, सुखी न संगम द्वार-
रोज सभाएँ हो रहीं, धरना धर्म किसान।।-1

बंधन हिंदू धर्म पर, लगता है चहुँ ओर।
बिनु मुर्गे की बाग के, कहाँ द्वार पर भोर।
पौराणिक मेला स्वयं, भरता है प्रति वर्ष-
अब संगम भय खा रहा, कोरोना का शोर।।-2

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ