कविता

बोलो सा रा रा रा

भईया बेचू के यार,
भईलन रंगा सियार।
न जाने कौन उनका,
है मानसिक विकार।
केहु के सुने खातिर
अब नहीं हैं तैयार।
बोलो सा रा रा रा !
न नैतिकता बचल,
न राजनैतिक धर्म,
बात बात हो जाले,
आजकल खूब गर्म।
कुर्सी के खातिर,
कर रहलन अधर्म।
बोलो सा रा रा रा !
उम्र के तकाजा बा,
या संगति के प्रभाव।
राजनीतिक सुचिता के
दिख रहल हे अभाव।
जब कोई जबाव मांगे,
अब होवे झांव झांव।
बोलो सा रा रा रा !
युवा जोश के बदले
मिलल जुगाड़ गाड़ी।
सत्ता के मलाई खातिर
होत खूब मारा-मारी।
गद्दी के खींच तान में
फट रहल धोती-साड़ी।
बोलो सा रा रा रा !
भईया बेचू के यार,
भईलन रंगा सियार।
बोलो सा रा रा रा !
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433