है नमन उनको
मार सको तो मार के आना वरना तिरंगे में आना,
देती हूँ आशीष तुम्हें तुम मान हमारा रख लेना,
और सुनो जब याद तुम्हे इस गाँव घरौंदे की आए,
झुक कर पावन माटी को अपने भाल लगा लेना,
मार सको ………..
कैसी हैं ये क्षत्राणी और कैसा इनका जज्बा है,
कैसे लाल को जनम दिया कितना अद्भुत किस्सा है,
और सुनो उस माँ ने कैसा वादा उससे करा लिया,
कहा कि हाल हो जैसा भी पर पीठ हमेशा साफ रहें,
भले ही दिल पर तुम रक्तसे अपने तिलक लगा लेना,
मार सको तो मार……..
नमन है इक इक माँ को और अभिनंदन पिता का है,
पूूूज्यनीय है बहन भार्या भाई चंदन जैसा हैं,
और सुनो तुम नेता ये सब माटी के धरोहर हैं,
अपने गंदे खेल में इनको शामिल न तुम कर लेना।
मार सको……..
— करूणा कलिका