गीत/नवगीत

गीत

बस वही इक सर्ग है जीवन का सुंदर,
नाम लिक्खा है जहाँ धड़कन ने तेरा।
आँसुओं का अर्घ्य देकर नित किया है,
स्वागतम  नत  नैन  के  अंजन ने तेरा…
स्वप्न  सारे  हैं  निलंबित  सांस बाधित,
और समय का चक्र घुर्णन कर रहा है।
संदली   अहसास   कारावास   में   हैं,
प्रणय  का भाव तिल तिल मर रहा है।
किंतु अबतक चित्र रक्खा है सजाकर,
हर लता पर  साध के  मधुबन  ने तेरा,
स्वागतम नत नैन——-
राजरानी  थी  कभी  जो  चाहतें  अब,
बन के दासी  घूमतीं हिय के महल में।
राजगद्दी   पर   विराजित    वेदना   है,
प्रेम  कर  बांधे  खड़ा  सेवा  टहल  में।
पर   सँवारा   है  सदा  प्रतिबिंब  सुंदर,
बालपन  का  मन लिए  यौवन ने  तेरा,
स्वगतम नत नैन——–
मन कबीराहो चला सुधियों का गायन,
कर रहा है नित्य  अपनी ही  लगन में।
राग   के  अनुराग  के  सब  बन्ध  टूटे,
वीतरागी   शब्द  जुड़ते  हैं  कथन  में।
मृत्यु क्षण मेंभी किया नैनों से चिन्हित,
एक   बंधन  मानसिक  मंथन  ने  तेरा,
स्वगतम नत नैन——–
— दीपशिखा सागर

दीपशिखा सागर

दीपशिखा सागर प्रज्ञापुरम संचार कॉलोनी छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)