दोहा
हिम्मत से दरिया तरें, कठिन समय का दौर।
राम विवश वन वन फिरे, मर्यादा शिरमौर।।-1
हाथ जोड़कर दूर से, करते रहें प्रणाम।
लक्ष्मण रेखा में रहे, घर मंदिर चित राम।।-2
समय न रुकता है कभी, अच्छा हो या क्रूर
दिन के ढलते रात है, रात ढले पर नूर।।-3
हिम्मत से ही आदमी, चढ़ता कठिन पहाड़।
दशरथ मांझी नाम सुन, नरम हुए पाषाण।।-4
बिना डाल का वृक्ष है, नाम पड़ा है ताड़
चढ़ जाता है आदमी, करता नहीं दहाड़।।-5
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी