गीत/नवगीत

गंगा माँ को निर्मल स्वच्छ बनाना है

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सबने मिलकर ठाना है
पतित पावनी गंगा माँ को निर्मल स्वच्छ बनाना है

झुग्गीवासी हर वनवासी गाँव गली के वासी में
धनिक दीन का भेदभाव तज घर घर नगर निवासी में
नहीं प्रदूषित होने देंगे यह संकल्प जगाना है

सरित श्रेष्ठा पापनाशिनी सलिला मोक्षदायिनी माँ
भारतीय साहित्य चेतना को जन जागृति करती माँ
वेद शास्त्र उपनिषदों ने भी इसका सुयश बखाना है

शस्य श्यामला पावन तट हो मिले नहीं प्रदूषित जल
बहे निरन्तर निर्बाधित हो छल छल छल छल गंगाजल
गंगोत्री से गंगासागर तक यह अलख जगाना है

— शिवभूषण सिंह ‘सलिल’