इश्क़ की शायरी
प्यारे इश्क़,
शयन नहीं जो बिछे पत्थर, रुई से बनी शय्या तुम हो।
फूल बिखरे राह पे पड़ा, ज़हर से भरा काँटा तुम हो।
राह खो गये जहाज़ की, रोशनी का खंभा तुम हो।
दर्द-ए-दिल सहलाने वाली, सुहानी निशा तुम हो।
किसी की ज़िंदगी में हुआ, बिना माफ़ी का ख़ता तुम हो।
किसी की ज़िंदगी जीने का, एक ही सहारा तुम हो।
किसी की अहद-ए-वफ़ा तुम हो, किसी की बेवफ़ा तुम हो।
किसी की मुद्दई तुम हो, किसी का मुद्दआ तुम हो।
— कलणि वि. पनागॉड