गीत/नवगीत

गीत –  ताकते हैं नैन खंजन (गीतिका छंद)

थाम लो भुजपाश आकुल आ परिधि में प्राणधन,
ताकते  हैं  नैन-खंजन  आज  त्रिज्या  व्यास  पर।
अधखुले  मृदुहास  रंजित यदि पुकारें नैन बंकिम,
नैन   नैनों  से  मिलें  तकरार   करती  हों  पलक।
कनखियों  से  कर  इशारे  तोड़ दे भ्रम जाल को,
छलछलाएँ  सोमरस-सी प्रीति का भर दें चषक।।
काट  दो  तिर्यक  भुजाएँ   नैन  चुम्बित  चाप  से,
टाँक  दूँ अधरोष्ठ बिम्वित  सुर्ख स्वर्णिम हास पर।
ताकते हैं  नैन  खंजन  आज  त्रिज्या व्यास  पर।।
देखती   रहती   अहर्निश   नाथ  मैं   मनमानियाँ,
प्रीति – पंडुक   वक्ष- उन्नत  अर्ध  अण्डाकार  में,
कर  रहा  घायल  हृदय को जन्म  लेतीं  वेदनाएँ,
बैठ करता  है किलोंलें  वह  प्रणय अभिसार में।।
अर्ध   चन्द्राकार   नभ   में    मुस्कुराती    चाँदनी,
बिछ गयी है आसवित अर्णव लड़ी अब घास पर।
ताकते  हैं  नैन-खंजन, आज  त्रिज्या  व्यास  पर।
चूडियाँ ,  कंगन  अबोले   मुँह   घुमाए   हैं   खड़े,
हो नहीं सिहरन रही क्या मौन क्यों वस्त्राभरण हैं।
कंचुकी, गलहार, बिँदियाँ, तोड कर  तटबंध  सारे,
प्यार में विश्वास  के  क्या  भूल जाते वो चरण हैं।।
प्यास  की  प्यासी  घुटन  ले  मैं  खड़ा  हूँ  द्वार  में,
क्यों  धडकते  हैं  नहीं प्रिय अंग अब आभास पर।
ताकते हैं  नैन-खंजन,आज  त्रिज्या  व्यास  पर।।
तुम   कहो  तो  चाँदनी   में   मैं  नहाऊँ   रात भर,
शर्वरी-सी  लोटती  लट  खोल दूँ  प्रियतम  घनेरी।
कष्ट  है  पथ  अर्धवृत  पर  लम्बवत्  चलते  उबेने,
द्वार, आँगन, सेज तक में छा गयी लट से अँधेरी।।
प्यार  में   काँटे चुभें  तो  वह  लगें  बस  फूल  से,
हैं  निछावर   कष्ट  सारे  सम्मिलन  की  आस पर,
ताकते  हैं  नैन-खंजन, आज  त्रिज्या  व्यास पर।।
कुहकुहाती   कोकिलाएँ   कल्पना   के   कंठ  से,
पूर्ण   करती  मान्यताएँ   कर   रहा  नर्तन  हृदय।
आज यौवन  है प्रफुल्लित भर रहा  आकास  पेंगें,
ध्वंस  कर  दीवार  लज्जा गुनगुनाता  है  निलय।।
हम  मिलेंगे   सुरमयी   इस   चाँदनी  के अंक  में,
वृत्त   की  आवृत्ति  पूरी  अब ‘भ्रमर’  विश्वास  पर।
ताकते  हैं  नैन-खंजन, आज  त्रिज्या  व्यास पर।।
— डाॅ. वीरेन्द्र प्रताप सिंह ‘भ्रमर’

डॉ. वीरेन्द्र प्रताप सिंह 'भ्रमर'

पिताश्री: स्व.श्री राम सिंह विशारद माताश्री: स्व.श्रीमती सरयू सिंह अर्धांगिनी: श्रीमती ममता सिंह जन्मतिथि: २५.१२ १९५६ शैक्षिक योग्यता- एम.ए(हिंदी,राजनीति),पी.एच.डी साहित्यिक - गीत एवं छंद ऋषि सम्प्रति: से.नि.प्राचार्य/प्राध्यापक- डायट साहित्य विधा- छांदस गीत,गज़ल,अन्यान्य विधाएँ। प्रकाशित कृतियाँ- ( ०७ ) १- प्रश्नचिह्न,२-राखी,३-द्रोपदी विलाप,४-कल्याणी काली,५-सत्य की ओर,६- आराधिता,७- शब्दाक्रुथी। प्रेस में... छंदाक्रुथी भाग-१ पुरस्कार- प्रमुख: ब्रजभाषा-विभूषण(राजस्थान), पं.शिवदत्त चतुर्वेदी सम्मान (आगरा), काव्य-मनीषी (नाथ द्वारा), हिंदी वाचस्पति सम्मान (गोवर्धन), श्रीकृष्ण सरल सम्मान (भोपाल,म.प्र.), गुरु द्रोण सम्मान (दिल्ली) , तुलसी की सुगंध सम्मान ( हरियाणा ),कालीञ्जर सम्मान ( उ प्र.), गीत-ऋषि सम्मान ( एटा ),आदि। पता- पैलेस सूर्यवंशम् सीतापुर- चित्रकूट(उ.प्र.) पिन: २१०२०५ सम्पर्क सूत्र- ७७५५८२११६१,८७५६४४६६४५ (ह्वाटस्एप) ई-मेल- [email protected]