गीत/नवगीत

हुआ है वासंती मधुमास

पधारे हो तुम जब से प्रेम!
हुआ है वासंती मधुमास।

चढ़े कण-कण में अद्भुत रंग,
विहँसते हर प्राणी के अंग।
यही यौवन का अभिनव रूप,
मधुरमय होता सदा अनूप।
रचाये सृष्टि अनोखा रास।
पधारे हो तुम जब से प्रेम!
हुआ है वासंती••••••••।।

छुपाकर रोम-रोम में लाज,
चहकता स्वागत में ऋतुराज।
महकता है आँगन घर द्वार,
पुलक उठता जीवन संसार।
मुदित हो करता हास-विलास-
पधारे हो तुम जब से प्रेम!
हुआ हैै वासंती••••••••••।।

झूमते पल्लव बौर रसाल,
चूमते भ्रमर पुष्प के गाल।
सुनाती कोकिल हिय की बात
हुए हैं रम्य सुखद दिन-रात।
मिले मन ‘अधर’ परस्पर पास।
पधारे हो तुम जब से प्रेम!
हुआ है वासंती•••••••••।।

शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com