नीतिपूर्ण दोहे
भाई हो तो भरत सा,राम कथा की शान।
भ्रात प्रेम में कर दिया,सत्ता सुख बलिदान।
भाई हो तो भरत सा,धीर वीर इंसान।
जिनकी निष्ठा,त्याग के,सब करते गुणगान।
जो करते हैं देश पर,प्राणों को कुर्बान।
सबको होना चाहिए,देश भक्त इंसान।
सबको होना चाहिए,सत्य,धर्म से प्रीत।
पुण्यकर्म करते रहें,हार मिले या जीत।
शब्दों की जादूगरी,कवि,लेखक का काम।
अपनी रचना से सदा,जग को दें पैगाम।
शब्दों की जादूगरी,भाव शिल्प का ज्ञान।
रचनाओं के वास्ते,आवश्यक परिधान।
शब्दों की जादूगरी,गायन का अभ्यास।
कंठ सुरीला हो अगर,बनिए गायक खास।
अग्रज का आदर करें,सदा अनुज को प्यार।
परिवर्तन का दौर है,बदलें मत व्यवहार।
फागुन लेकर आ गया,होली का त्योहार।
प्रेम रंग में फिर ढला,अब सारा संसार।
अनुशासित परिवेश में,हमसब पाते ज्ञान।
गुरुकुल होते आज तो,बनता देश महान।
गुरुकुल होते आज तो,बनता सभ्य समाज।
सत्य अहिंसा प्रेम का,चहुं दिशि होता राज।
बातें बस अधिकार की,करे भूलके फ़र्ज़
दुनिया सोचे लाभ की,सभी यहां ख़ुदगर्ज़।
स्वारथ में डूबे हुए,नैतिकता से दूर।
दुनिया सोचे लाभ की,यही आज दस्तूर।
विमुख करे सत्कर्म से,जठरानल का ताप।
भूख मिटाने के लिए,मनुज करे सब पाप।
नूतन नित संदेश से,सबको जगाए भोर।
तन मन में उर्जा भरे,बिना किए कुछ शोर।
— बिनोद बेगाना