खाली नहीं बैठती लड़कियां
खाली नहीं बैठती लड़कियां
बाप ,दादा -दादी
चाचा -ताऊ, भाई-भतीजे
छोटे-बड़े के साथ ही
अतिथियों तक को
पीढ़ा-पानी परोसती हैं लड़कियां…
खाली नहीं बैठतीं लड़कियां…
लड़कियां
कुएं से लाती हैं पानी
रखती हैं दाल का अदहन
पसाती हैं चावल से मांड़
निकियाती हैं आलू और
फोड़ती हैं लहसुन…
लड़कियां खाली नहीं बैठती …
लड़कियां पहुंचाती हैं खेत पर कलेवा
काटती हैं मेड़ों की घास और
अगहन में बांछती हैं बेंगा का धान
लड़कियां खाली नहीं बैठती …
ताई ,चाची और सहेलियों के घर
आती-जातीं रास्ते भर कुछ न कुछ बुनती रहती हैं
लड़कियां…
लड़कियां खाली नहीं बैठतीं …
तभी तो ;
उनके विदा होते समय
रिश्ते-नाते, घर-द्वार
पास-पड़ोस के साथ ही
रोती हैं गांव की सारी गलियां…
खाली नहीं बैठती लड़कियां…
— मोती प्रसाद साहू