उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर
जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी है तब से प्रदेश मे एक ओर जहाँ हिंदुत्व व सांस्कृतिक राष्टवाद का रंग गाढ़ा होता जा रहा है वहीं दूसरी ओर माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर भी तेज गति से काम चल रहा है जिसके कारण भाजपा समर्थक ही नहीं अपितु समस्त हिंदू जनमानस का विश्वास मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रति बढ़ रहा है। योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में बदलाव की बयार दिखायी पड़ रही है। प्रदेश में सनातन धर्म सहित सभी पंथों और सम्प्रदायों के पर्व समान रूप से शांति पूर्वक सम्पन्न हो रहे हैं। सावन की पवित्र कांवड़ यात्रा से लेकर रक्षा बंधन, स्वाधीनता का अमृत महोत्सव और कृष्ण जन्माष्टमी तक सभी पर्व धूमधाम और उत्साह के साथ संपन्न हुए यद्यपि अराजक तत्वों ने एक -दो जगहों पर प्रदेश का वातावरण बिगाड़ने का प्रयास किया किन्तु पुलिस प्रशासन की सतर्कता के चलते कोई बड़ी अनहोनी नहीं हो पाई।
आज प्रदेश का कोई भी ऐसा धार्मिक स्थल नही बचा है जहां पर विकास कार्य न हो रहे हों या भक्तों की भीड़ न पहुंच रही हो। सावन के पवित्र माह में प्रदेश के सभी सम्बंधित शिवालयों में कांवड़ियों की अभूतपूर्व भीड़ पहुंची । काशी विश्वनाथ धाम में एक माह में एक करोड़ से अधिक भक्तों ने भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाया और प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इस बार भोले के भक्तों ने पांच करोड़ से अधिक का चढ़ावा चढ़ाया। काशी के इस काया पलट का सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व योगी जी की शिव भक्ति को ही मिलना चाहिए। आज हर हिंदू एक बार काशी दर्शन करना चाहता है। आज वहां पर भक्तों को दर्शन पाने में तीन से छह घंटे का समय लग रहा है । वापस आने वाले भक्त विश्वनाथ धाम की प्रशासनिक व्यवस्थाओं का भी बखान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रदेशभर के कावंड़ियों पर एक बार फिर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गयी जिसने श्रद्धालुओं को हर्षित किया और पारंपरिक यात्राओं के लिए प्रेरित भी किया । महत्वपूर्ण ये भी है कि प्रदेश के अन्य सभी प्रतिष्ठित शिवालयों का भी पुनरुद्धार और विकास किया जा रहा है ।
इसी प्रकार प्रदेश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी खूब धूमधाम से मनाया गया। मथुरा से लेकर लखनऊ तक पूरा प्रदेश कृष्णभक्ति में डूबा रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा ,बलिया और लखनऊ में आयोजित कई कार्यक्रमों मे हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अन्नपूर्णा भोजनालय का शुभारम्भ किया जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संदेश दिया कि जो कुछ भी हम करते हैं वह भगवान श्रीकृष्ण के सन्देश के अनुसार ही है – परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम । हमारी नीतियों का आधार साधुओं की रक्षा और दुष्टों का संहार है । मुख्यमंत्री ने यहां पर संतो का आशीर्वाद भी लिया और कहा कि वह ब्रज के विकास के लिए कृतसंकल्प हैं। निश्चित रूप से अयोध्या के श्री राम मंदिर, काशी के विश्वनाथ धाम के पश्चात् ब्रज क्षेत्र का भी वैसा ही उन्नयन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कि लहर को आगे बढ़ाएगा ।
आगामी 23 अक्टूबर को अयोध्या में बहुत ही धूमधाम से दीपोत्सव मनाया जाएगा । इस बार अयोध्या में 14.50 लाख दीप जलाकर नया विश्व कीर्तिमान बनाया जाएगा । इसके लिए 18 हजार कार्यकर्ता लगाये जायेंगे । राम की पैड़ी के 32 घाटों सहित लक्ष्मण घाट व चौधरी चरण सिंह घाट पर भी दीप जलाए जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है जिसकी तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। अयोध्या का दीपोत्सव सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का ही विस्तार है।
अयोध्या, मथुरा काशी ही नहीं अमृत काल में सभी सांस्कृतिक धार्मिक केंद्रो का विकास प्रगति पर पर है। चित्रकूट धाम, माँ विंध्यवासिनी, तीर्थराज प्रयागराज, नैमिषारण्य, माँ शाकंभरी मंदिर ऐसे अन्यान्य तीर्थ क्षेत्र जो विकास कि दृष्टि से उपेक्षित पड़े थे आज जगमगा रहे हैं। इससे न केवल सनातन जागृत हो रहा है वरन स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
इसी प्रकार प्रदेश में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा अभियान भी पुरे उल्लास के साथ मनाया गया और गली गली में राष्ट्रवाद का उभार देखा गया । सच तो यह है कि हर घर तिरंगा अभियान के कारण देश के सामान्य जन को पहली बार ये अपना राष्ट्रीय उत्सव लगा अन्यथा पंद्रह अगस्त एक सरकारी आयोजन सा हुआ करता था । लगभग हर मोहल्ले और हर गाँव में तिरंगा यात्रा निकली, हर क्षेत्र को स्वाधीनता सेनानियों कि चर्चा हुयी, हर घर तिरंगा फहरा, पहली बार बाज़ार में लोग तिरंगे परिधानों में दिखे, बच्चों के लिए नए कपडे ख़रीदे। संभवतः 15 अगस्त 1947 ऐसा ही रहा होगा। जब मुख्यमंत्री जी ने बलिया क्रांति की चर्चा की तो बहुत से लोग आश्चर्य में पड़ गए उन्होंने कभी इसके विषय में सुना ही नहीं था । इतना ही नहीं विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस ने भी जन सामान्य को उनके राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्य का बोध कराया।
कुल मिलाकर बीते दो महीने प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर जगाने वाले रहे हैं जो धीरे धीरे और तीव्र होती जाएगी ।
— मृत्युंजय दीक्षित