कविता

शरद पूर्णिमा का चंदा

शरद पूर्णिमा
नील गगन पर
मुस्कुराता आया चंदा
दूध धुली सी
लेकर शीतल किरणें।
धरा पर प्रकृति का
नैसर्गिक सौंदर्य भी
जगमगा उठा
पाकर चंदा से
अमृत किरणें।
आया शरद पूर्णिमा का
प्यारा चंदा
सुनकर मनमोहन की
मधुर बाँसुरी फिर
शरद पूर्णिमा सी मनमोहक
सुंदर गोपियों ने
मनमोहन संग महारास रचाया।
ऐ शरद चंदा !
नमन है तुमको
यूँ ही सदा तुम सबके जीवन में
खुशियाँ लेकर आते रहना।

रचना – स्वरचित / मौलिक
रचयिता – आचार्या नीरू शर्मा
शिक्षिका / लेखिका
स्थान – कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश ।

आचार्या नीरू शर्मा

नाम आचार्या नीरू शर्मा है। मेरी जन्मभूमि देवभूमि हिमाचल प्रदेश है । मैं एक शिक्षिका व लेखिका हूँ । शिक्षा - एम.ए./आचार्या/ बी.एड। शिक्षिका के रूप में कार्य करते हुए 15 साल हो गए हैं । लेखन से जुड़े हुए लगभग 10 साल हो गए है। कुछ साहित्यिक मंचों से जुड़ी हूँ जिन पर रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं। दो साझा काव्यसंग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। मेरी रुचि - पठन/लेखन/भ्रमण/बागवानी आदि में है।