मां जब अपने बच्चे को जन्म देती है तो मां की जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती है, वह अपने बच्चे की परवरिश के लिए रात-दिन एक कर देती है और जब बच्चे थोड़े से बड़े हो जाते हैं, तो उनमें संस्कार डालने की बारी आती है। एक वही समय होता है जब मां अपने बच्चों के लिए, उनके भविष्य के लिए, उन्हें गलत चीजों से आगाह करके एक मां अपने बच्चों को बाल्यकाल से लेकर उसकी युवावस्था तक संपूर्ण उसके भरण पोषण का ध्यान रखती है, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो मां के द्वारा दिखाए गए संस्कारों के द्वारा ही अपनी जिंदगी का आधा सफर तय करते हैं।
बच्चे जब छोटे होते हैं तो वह हर एक छोटी से छोटी चीजों के लिए जिद करते हैं, तो उन्हें मां समझाती है धैर्य रखना और उनके भविष्य निर्माण के लिए रोज एक नई सीख देकर उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान कराती है। केवल माँ ही नहीं परिवार के हर सदस्यों का फर्ज है कि अपने बच्चों को सही गलत का परिचय कराएं, ताकि बड़े होने पर बच्चे अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल कर सके और किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना उन्हें भविष्य में ना करना पड़े।
अक्सर देखा गया है कि कई मां-बाप अपने काम की वजह से अपने बच्चों को किसी पड़ोसी के घर या बोर्डिंग स्कूल भेज दिया करते हैं। पर वहां पर बच्चे कितने सुरक्षित है, इसकी चिंता माता पिता को होती है, उनके दिए हुए संस्कार बच्चे वहां पर समझ रहे हैं कि नहीं, उन्हें हर समय यह खतरा मन में आता रहता है, लेकिन फिर भी व्यस्तता के कारण वह अपने बच्चों को गलत हाथों में सौंप कर चले जाते हैं यह सोच कर के पड़ोसी या अन्य लोग ठीक व्यवहार के है, पर क्या सच में आपके पड़ोसी और बाहर के लोग अच्छे होते हैं? और वह होते भी कितने अच्छे हैं, इसकी जानकारी क्या आपको है? कई बार ऐसी वारदातें हुई है जब पड़ोसियों ने बच्चों के साथ गलत व्यवहार किया है और इसकी भनक तक वह लोग लगने नहीं देते हैं और उनके बच्चों के साथ गलत होता रहता है, बच्चे जो कच्ची मिट्टी के समान, अपने कोमल मन से यह समझ नहीं पाते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है और वह बच्चे भी उन्हीं के कुचक्र में फंसते चले जाते हैं, जिसका अंजाम बहुत बुरा होता है खासतौर लड़कियों के लिए।
परिवार के सदस्यों में नाना-नानी दादा-दादी चाचा चाची सभी बैठकर अपने अपने बच्चों के साथ समय व्यतीत करें और उन्हें सही गलत का फर्क सिखाने में परिवार के ही सदस्य मदद कर सकते है। बच्चों को यह जरूर सिखाइए कि यदि कोई व्यक्ति उन्हें गलत तरीके से छू रहा है, तो वह बच्चे उसका विरोध करें। लड़कियों के लिए यह बहुत ही दुखद स्थिति होती है कि, उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों की संख्या देश में हर कोने में बढ़ रही है, लड़कियों को एक मां यह शिक्षा दे सकती है कि, कौन उनके साथ गलत कर रहा है और कौन नहीं? इन सब के बारे में एक माँ ही अपनी बेटी को समझा सकती है या परिवार के अन्य महिलाएं भी समझा सकती है। कई बार लड़कियों और छोटे बच्चों को अगवा करने की खबरें आती हैं, अपने बच्चों को सिखाइए की वैसी स्थिति में बच्चे अपनी सुरक्षा किस तरह कर सकते हैं, उन्हें अपने घर के सारे फोन नंबर याद करा दीजिए, अपने घर का पता उनके मस्तिष्क में बैठा दीजिए, ताकि बच्चे कहीं भी भटके तो अपने निवास स्थान में वापस लौट सके, या किसी भी गलत परिस्थितियों में किसी भी टेलीफोन बूथ की सहायता से नंबर याद होने पर वह बच्चे अपने माता-पिता या परिवार से संपर्क कर सकें बच्चों में यह सीख जरूर से डालिए।
बच्चों को कराटे जरूर सिखाएं, ताकि यह बच्चे अपनी सुरक्षा स्वयं भी कर सके, किसी भी गलत परिस्थितियों में बच्चे गलत का विरोध कर सकते हैं, यदि परिवार के द्वारा दी गई सीख बच्चों के मन में बैठ जाए, बच्चों के साथ परिवार के सभी सदस्य दोस्ताना व्यवहार करें, ताकि उनके साथ हो रही गलत चीजों को बच्चे डर कर छुपाए नहीं, बल्कि उन गलत चीजों को अपने घर परिवार में बताएं। रोजाना अपने बच्चों से पूछे कि आज दिन में बाहर रहकर क्या क्या किया? क्या खाया? क्या पिया? और उन्हें यह सीख दीजिए कि, जिन्हें बच्चे नहीं जानते हैं उनके द्वारा दी गई कोई भी चीजें नहीं खाए, बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें ताकि बच्चों के अंदर गलत चीजों को बताने के लिए हिम्मत आ सके, उनके साथ ऐसा व्यवहार परिवार के लोग रखें कि बच्चे खुद से सारी गतिविधियां परिवार के हर सदस्य को बता सकें। बच्चों से रोजाना प्यार से बातें करें, उनके मन की हर बातों को जानने की कोशिश करें, यही एक परिवार का कर्तव्य है। तभी बच्चे सही गलत समझ कर पाएंगे और अपनी सुरक्षा भी कर पाएंगे।
— पूजा गुप्ता