शवयात्रा
टींग टींग…….. नरेश के जेब से आवाज आती है। साथ में चल रहा एक आदमी कहता है- ‘‘आपका मोबाइल बज रहा है।’’
नरेश जेब से अपना फोन निकाल कर हेलो हेलो कहता है। मित्र हरेंद्र का फोन है। जब डीजे के स्पीकर की आवाज से कुछ स्पष्ट सुनाई नहीं पड़ती है। तब नरेश साइड में जाकर कहता है- ‘‘बोेल यार क्या बोल रहे हो? डीजे बज रहा है। जिसकी वजह से कुछ सुनाई नहीं पड़ रही थी।’’
‘‘कहाँ हो यार! डीजे और पटाखा फोड़ने की आवाज आ रही है।’’ हरेंद्र कहता है
‘‘शवयात्रा में’’
‘‘कैसा शवयात्रा है यार? राम नाम सत्य है, बोलने की जगह डीजे बजा रहा है।’’
‘‘आज का फैशन शवयात्रा है यार!’’
‘‘क्या मनुष्य के हृदय से संवेदना समाप्त हो चुकी है।’’
‘‘क्या बताऊँ यार?’’
‘‘बोेल न यार!’’
‘‘इस शवयात्रा में पुत्र-पौत्र एवं अन्य रिश्तेदार शराब पीकर डांस कर रहे हैं।’’
‘‘शवयात्रा, अब शवयात्रा नहीं रहा यार………..’’