कविता

जन जन की भाषा है हिंदी

जन जन की भाषा है हिंदी
हर मन की आशा है हिंदी
शब्दों का भंडार बड़ा है
अद्भुत ज्ञान से भरा घड़ा है
देश के जन जन को ये जोड़े
हर कोई इसके साथ खड़ा है
व्यंजन छत्तीस बारह स्वर से
हुई बड़ी समृद्ध है हिंदी
जन जन की भाषा है हिंदी
हर मन की आशा है हिंदी
हर रिश्ता परिभाषित करती
अलग अलग पहचान है देती
शब्द अथाह हैं भरे पड़े
पर दूजों को सम्मान है देती
इंग्लिश, उर्दू शब्दों को खुद में
शामिल कर लेती हिंदी
जन जन की भाषा है हिंदी
हर मन की आशा है हिंदी
जब होवे प्रयोग ‘आप’ का
बड़ों को ये सम्मान दिलाए
तुम कहके हम गैरों को भी
अपनापन अहसास करावें
मनभावन किस्सों कविताओं
से मन को छू लेती हिंदी
देश को गौरव जो दिलवाए
माथे की बिंदी है हिंदी
जन जन की भाषा है हिंदी
हर मन की आशा है हिंदी

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।