दिल में दर्द है तो बात है
दिल में दर्द है तो बात है,
बेदर्दों से न कोई सवाल है।
आज देश का जो बुरा हाल है,
क्यों बेरोजगारी और भुखमरी है?
समझो तो तुमसे ही सवाल है,
न समझो तो फिर न कोई बात है।
क्यों आज लोग इतना तबाह है,
क्यों पग-पग पर मिलता जालसाज है?
है फिक्र तो बता हमें,
निष्ठुर है तो फिर चुप ही रह?
आज क्यों बचपन छिन रहा,
क्यों बच्चों पर इतनी किताब की बोझ है?
है आदमियत तो ये प्रश्न है,
है हैवान तो नजरंदाज कर।
क्यों आज सांँस लेना भी मुश्किल है,
और क्यों प्रकृति दोहित-तबाह है?
चुप रहना न कोई जवाब है,
हर डर के आगे जीत है।
हारेगा वो जो शोषक-बेशर्म है,
संघर्ष से शोषितों का जीत तय है।
आज व्यक्तिवादी सोच है,
सब तात्कालिक फायदे में ही मस्त है।
ये पूंँजीवाद ही इन समस्याओं के जड़ में है,
मुझे लगता है यही सब सवाल का जवाब है?
— अमरेन्द्र