कविता

मंजिल मिल ही जाएगी।।

हममें गर जज़्बा हो,
बाँछे खिल ही जाएगी।
कर गुजरने का हो जुनून,
मंजिल मिल ही जाएगी।।
               अरे राह में तो शूल भी
               चुभेंगे कोमल पैरों में।
               पर डगमग ना हो पाँव तेरे,
               मुकाम मिल ही जाएगा।।
डगर होगी पथरीली,कंकरीली,
न थक,न रुक,न झुक।
बढ़ाते चल कदम,
आशियाने मिल ही जाएँगे।।
               तूझे उड़ना है ऊँचे आसमाँ
               तक,नापना है गगन।
               हिम्मत जुटा,कर हौसला बुलंद,
               ठिकाने मिल ही जाएँगे।।
तुझे नापना है धरा,
रसातल की तह तक।
इरादें कर मजबूत लक्ष्य पर,
लक्ष्य अवश्य भेदे जाएँगे।।
— महेन्द्र साहू”खलारीवाला”

महेन्द्र साहू "खलारीवाला"

मैं, एक शिक्षक हूँ। कविता लिखना मुझे अच्छा लगता है। ग्राम-खलारी, पोस्ट-कलंगपुर तहसील-गुंडरदेही, जिला-बालोद (छ ग) पिन कोड-491223 मो नं 9755466917