प्राकृतिक आपदा निपटने हेतु अवरोधी संरचना तैयार करें
चक्रवात ,सुनामी,भूकंप अक्सर आते रहते है।किंतु टॉरनेडो(बवंडर) यहाँ पर बहुत कम आते है।प्राकृतिक आपदा से निपटने के इंतजाम है।राहत कार्य द्वारा सहायता भी की जाती रही है।वर्तमान में गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में तूफान आने के पूर्व इंतजाम होने से पूर्व व्यवस्था से जान माल की हानि कम हुई।फिर भी जिस क्षेत्र में आपदा आती है वहाँ पर संरचनाओं के व्यापक इंतजाम किए जाना चाहिए।उदाहरण के तौर पर भूकंप वैज्ञानिकों के शोधानुसार हिमालयन प्लेट के संधि स्थल पर सर्वाधिक दबाव बन रहा है|उनका मानना है की जब कभी भूगर्भीय संरचना मे तेजी से हो रहे बदलावों के कारण धरती मे से ऊष्मा उत्सर्जित होकर निकलती है वो भी भूकंप आने का एक लक्षण दर्शाती है| हिमालयन प्लेट क्षेत्र मे भूकंप के खतरे को देखते हुए अभी से प्रयास प्रारंभ कर देना चाहिये ।उधर पिछले वर्ष जोशीमठ क्षेत्र में दरार हुई थी।इन दरारों में यदि बारिश का पानी भरता है तो ये अवश्य भू स्खलन को जन्म देगी।जिससे जान माल की हानि होने का अंदेशा बना रहेगा। प्राकृतिक आपदा को रोका तो नहीं जा सकता किन्तु उसकी विनाशकता को तो कम किया जाकर जान- माल की हानि मे कमी की जा सकती है |इसके लिए भूकंप अवरोधी संरचना तथा अन्य कोशिशों पर ध्यान देकर भूकंप के झटके सहन करने वाला क्षेत्र चक्रवात से सुरक्षा की नीति बनाई जाना चाहिए | ठीक इसी रारह चक्रवात ,सुनामी आदि प्राकृतिक आपदा का भी अवरोधी संरचना तैयार कर सतर्क रहने की आवश्यकता है।
— संजय वर्मा ‘दृष्टि