बेटी बचाओ
बेटी बचाओ अभियान एक पुनीत अभियान है | जो की समाज की उस बुराइयों की और इशारा करता है जहाँ लोगबाग भ्रूण -हत्या करने की सोच विकसित करते है |वे लोग इस बात को गहराई से सोचे कुल को बडाने वाली ,रिश्तों के मजबूत बंधन को बांधनेवाली,बहन ,माता ,पत्नी आखिर किसी की भी बेटियाँ तो होती है | जन्म से पहले बेटी को मारने का पाप इंसान क्यों करने लगा है ,उसे कानून द्वारा कड़ी सजा मिलेगी यह डर होने पर भी भ्रूण -हत्या करने की जो मानसिकता विकसित हो रही है वो इंसान कि इंसानियत नहीं बल्कि शैतानियत को दर्शाता है | भ्रूण हत्याए करने से जीवन मे सारे पुण्य काम स्वत: समाप्त होजाते है |बेटियाँ तो ओंस सी कोमल होती है ,बेटियाँ हँसती तो मोती झरते है ,बेटियाँ विदाई होने पर रोतीं है तो हर इंसान की आंखे रोतीं है |भावनाओ और ममत्व से जुड़ा होता है बेटियों का प्रेम |बेटियों के बिना त्यौहार भी सूने लगते है ,भाइयों की कलाइयाँ भी सूनी होती है,श्रंगार रस कि कल्पनाये भी कोसो दूर रहती है |सच भी तो है हमारे जीवन की साँस और आस होती है बेटिया ।यदि जीवन मे सच्चा सुख कोई पाना चाहते है तो “बेटी बचाओ अभियान” का संकल्प लेवे ताकि बेटी के संग दोगुनी खुशिया हर घर मे हो सके |
— संजय वर्मा “दृष्टि”