लघुकथा

मासूम सी मुस्कान 

घर पर कार्य चल रहा था । दोपहर को अपने मजदूर के लिए नाश्ता लेने मैं हलवाई की दुकान पर चला गया । नाश्ता पैक कराकर हलवाई से पूछा कितने पैसे हुए ।

‘साठ रुपए’…

‘पचास में काम चल जायेगा ना’…

वह मान गया । मैंने दस रुपए का नोट अपनी कमीज की जेब में रखा और नाश्ता थैले में । बाइक को पहली किक मारी ही थी कि अचानक से मेरी नजर सड़क की दूसरी ओर बैठे एक साॅंवले से कमजोर लड़के पर चली गई । वह शायद किसी ईंट भट्ठे पर कार्य करने वाले मजदूर का बेटा था ‌। हो सकता है, उसका पिता अंदर गली में ईंटों की भरी ट्राली खाली कर रहा हो और वह उसी की प्रतीक्षा में बैठा हो । 

मैंने उसे पास आने का इशारा किया, वह आ गया । उसे दस रुपए का नोट थमा दिया, ‘जा कुछ खा ले ।’

वह मासूम सी मुस्कान के साथ चला गया । उसकी मुस्कान ने हृदय को असीम शांति प्रदान की…।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111