स्वस्थ लीवर ही स्वस्थ जीवन का आधार
लीवर जिसे हिंदी में यकृत या जिगर कहते हैं, मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में डायफ्राम के नीचे, दाहिनी किडनी और छोटी आंत के ऊपर स्थित होता है। मस्तिष्क के बाद जीवधारियों के शरीर का यह दूसरा सबसे जटिल एवं महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इसका प्रमुख कार्य शरीर के मेटाबोलिज़्म को सुचारु रूप से जारी रखना है। इसके अतिरिक्त, यह एल्ब्यूमिन, लिपोप्रोटीन इत्यादि महत्वपूर्ण प्रोटीनों को संश्लेषित करता है। भोजन को पचाने के लिए आवश्यक एन्जाइम एवं पित्त रस का उत्पादन भी लीवर करता है, जो यहाँ से पित्ताशय की थैली में जाता है और शरीर द्वारा वसा को तोड़ने और अवशोषित करने मे मददगार साबित होता है। जिगर जहरीले पदार्थों को भी अवशोषित कर लेता है और उन्हें हानिरहित पदार्थों में परिवर्तित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि वे शरीर से निकल जाएं। यह शरीर के पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिना लीवर के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लीवर की बीमारियों से मरने वालों की संख्या में भारत का विश्व में दसवां स्थान है।
लीवर की संरचना बहुत जटिल होती है। इसमें दो बड़े खंड होते हैं, जिन्हें दायां और बायां लोब कहा जाता है। ये लोब्यूल छोटी नलिकाओं (ट्यूब) से जुड़े होते हैं जो बड़ी नलिकाओं से जुड़कर सामान्य यकृत वाहिनी बनाते हैं। सामान्य यकृत वाहिनी यकृत कोशिकाओं द्वारा बनाए गए पित्त को सामान्य पित्त नली के माध्यम से पित्ताशय की थैली और ग्रहणी (छोटी आंत का पहला भाग) तक पहुँचाती है। अग्न्याशय और आंतों के कुछ हिस्सों के साथ, यकृत के नीचे पित्ताशय स्थित होता है। यह मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण एवं जटिल अंग है। लीवर मानव शरीर से हानिकारक और विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है। यह विटामिन्स और वसा जैसे पोषक तत्वों को पचाने में मदद करता है। पेट और आंतों से निकलने वाला सारा रक्त यकृत से होकर गुजरता है, जहां यह रक्त में अधिकांश रासायनिक स्तरों को नियंत्रित करता है। जिगर रक्त से विषाक्त पदार्थों, जैसे शराब और नशीली दवाओं को शरीर से निकालता है तथा रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखने के लिए यकृत रक्त में ग्लूकोज का उत्पादन, भंडारण व रिलीज करने में मदद करता है।
लीवर कम से कम चार महत्वपूर्ण हार्मोनों का संश्लेषण और स्राव करता है जैसे- इंसुलिन जैसा विकास कारक-1 (विकास और कोशिका विभाजन को बढ़ावा देता है), एंजियोटेंसिनोजेन (यह रक्तचाप के नियमन में शामिल होता है), थ्रोम्बोपोइटिन (अस्थि मज्जा में प्लेटलेट उत्पादन को उत्तेजित करता है), हेक्सिडिन (लोहे के चयापचय को नियंत्रित करता है), बेटाट्रोफिन (इंसुलिन स्राव और मधुमेह से जुड़ा हुआ है)। यकृत पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से अतिरिक्त लोहे को संग्रहीत करता है और आगे उपयोग के लिए इन कोशिकाओं के घटकों को रिसाइकिल करने में मदद करता है तथा कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है। रक्त से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाकर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। यकृत विटामिन (ए, डी, ई, के, और बी 12) और खनिजों (लौह और तांबे) जैसे आवश्यक पदार्थों को संग्रहित करके यकृत एक भंडारण अंग है।
खून जमने में मदद : लिवर विटामिन-के का उपयोग करके क्लॉटिंग कारक पैदा करता है जो रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह चोट लगने की स्थिति में अत्यधिक रक्तस्राव को रोकता है। यदि समय पर उपचार मिल जाए तो रोगी को ज्यादा हाँनि नहीं होती है… उसे सुरक्षित बचाया जा सकता है।
लिवर संबंधी बीमारियों का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और साथ ही उसके स्वास्थ्य से जुड़े इतिहास के बारे में पूछते है। लक्षणों की पुष्टि करने के लिए आपको डाक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। लीवर की बीमारियों का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण द्वारा लिवर फंक्शन टेस्ट, सीरम बिलीरुबिन एवं एल्ब्यूमिन टेस्ट, अल्कलाइन फॉस्फेट्स (ए एल पी) टेस्ट, जिगर की क्षति, ट्यूमर या अन्य असामान्यताओं की पहचान करने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है, सीटी स्कैन(इस परीक्षण का उपयोग यकृत रोगों के निदान और यकृत ट्यूमर के आकार और स्थान का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है), एमआरआई(इस परीक्षण का उपयोग यकृत रोगों के निदान, ट्यूमर के आकार और स्थान का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है), लिवर के ऊतकों में बढ़ी हुई चयापचय गतिविधि के क्षेत्रों का पता लगाकर, कैंसर और मेटास्टैटिक रोग सहित कुछ यकृत रोगों के निदान और निगरानी में मदद के लिए पेट स्कैन किया जा सकता है।
आजकल कृषि क्षेत्र में खाद्यान्न उत्पादन में अंधाधुंध कृषि रसायनों एवं रासायनिक उर्वरकों का बिना किसी सुरक्षा एवं संरक्षा के प्रयोग किया जा रहा है। बहुत अधिक मात्रा में रासायनिक पदार्थों के प्रयोग के कारण खाद्य पदार्थ एवं पानी दूषित हो रहा है, जिसका सीधा प्रभाव सेहत पर पड़ रहा है जो मानव शरीर में तमाम तरह की कैंसर, हार्टअटैक जैसी गंभीर बीमारियों का जनक है। भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोग अपनी सेहत का सही से ध्यान नहीं रख पा रहें हैं। खानपान की गलत आदतों के कारण लीवर ठीक से काम करना बंद कर देता है और कई बीमारियों को जन्म देता है। लीवर कमजोर होने से पीलिया और फैटी लीवर की आशंका बढ जाती है। यदि समय पर लीवर का इलाज न कराया जाए तो लीवर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
लीवर की प्रमुख बीमारियाँ एवं लक्षण :-
1. वजन धटना भूख न लगना
2. पीलिया होना
3. हेपेटाइटिस ए, बी तथा सी
4. थकान महसूस करना
5. युवा अवस्था में ही त्वचा पर झुर्रियां तथा आंखों के नीचे काले घेरे पड़ना
6.फैटी लिवर एवं लीवर सिरोसिस
7. लिवर कैंसर : लिवर कैंसर हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) या हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के पुराने संक्रमण के कारण हो सकता है
8.बार-बार उल्टी आना तथा पेटदर्द इत्यादि।
लीवर को सुरक्षित रखने एवं मजबूत बनाने के उपाय:- जीवनशैली में बदलाव से जिगर की रक्षा करने और जिगर की बीमारी के विकास को रोकने में मदद मिल सकती है जैसे….
1. दिन में 3-4 लीटर शुद्ध पानी पिएं।
2. अधिक चिकनाई एवं वसायुक्त भोजन करने से बचें तथा पूरी तरह से पका हुआ भोजन ही करना चाहिए।
3. जंकफूड, बाजारू खाद्य पदार्थों एवं धूम्रपान से बचें।
4. देर से सोना और देर से उठना बंद करें तथा सोने एवं उठने के समय को नियमित करें।।
5. प्रोटीन की अधिकता वाला भोजन करें।
6. भोजन में सलाद और हरी सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करें।
7. भोजन में लहसुन अदरक का नियमित सेवन कर लीवर की कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
8. नियमित रूप से ताजे फलों का सेवन करें तथा ग्रीन-टी का उपयोग करें। ग्रीन-टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और जिगर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और जिगर की कार्यक्षमता में सुधार करने में मदद कर सकती है।
9. दैनिक दिनचर्या नियमित करें।
10. नियमित योगासन, प्राणायाम एवं व्यायाम जरूर करें।
समय-समय पर जाँच करवाते रहें तथा अधिक समस्या होने पर डाक्टर से चिकित्सीय सलाह जरूर लें।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए हम अपने लीवर को सुरक्षित रखकर स्वस्थ एवं मजबूत बना सकते हैं और सुखद एवं स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।
— नवनीत कुमार शुक्ल