लघुकथा : सजा
कोर्ट में जज ने न्याय सुनाने से पहले कटघरे में खड़े विजय से पूछा- “मिस्टर विजय ! क्या तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है ?”
अपराधबोध में डूबे विजय का जवाब था- “योर आॕनर ! हाँ, मैंने अपनी बीवी की हत्या की है। आप मुझे जो सजा देना चाहते हैं; मंजूर है। मुझे सजा मिलनी ही चाहिए।”
फिर पुलिस विजय को कोर्ट से बाहर ले जाने लगी। तभी पीछे से एक आवाज आई – “पापा… पापा…! पर हमें किस बात की सजा मिल रही है ?”
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”