लघुकथा

बराबरी

नीना को देखने लड़के वाले आये ।नीना उन्हें पसंद भी आ गयी।नीना से तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे थे और नीना भी अपने जवाब से सबको संतुष्ट किये जा रही थी। जब लड़के वाले नीना से संतुष्ट हो गये तो लड़के वालों की तरफ से एक आवाज उभरी चलो सब ठीक है, लड़की बहुत ही सीधी गऊ लग रही है। फिर  वो सब जाने लगे।

               तभी नीना ने कहा आप लोग मेरा फैसला सुने बगैर कहां जा रहे हैं मुझे ये रिश्ता तभी मंजूर होगा जब मुझे लगेगा कि आपका बेटा भी बैल है‌।बैल की तरह मेहनती हो और कुत्ते की तरह ईमानदार हो। मैं ने आज तक किसी भी मां बाप से यह नहीं सुना कि हमारा बेटा भी बैल की तरह मेहनती हैआप ने तो सुना ही होगा रिश्ते बराबरी वालों में ही अच्छा होता है। लड़के वाले अपना सा मुंह लेकर चले गये।

— अमृता प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़