मोहभंग बहुत जरूरी है
निरंकुश शासन हुआ है, जंग बहुत जरूरी है
शासन से और सत्ता से मोहभंग बहुत जरूरी है
अगर जो खुद को ना बदले तो पछताएंगे हम कल
स्याह भविष्य हो जाएगा ना हो पाएगा वो उज्जवल
परिवर्तन का अब चढ़ जाना रंग बहुत जरूरी है
शासन से और सत्ता से मोहभंग बहुत जरूरी है
अंधियारे को दूर भगाने आए थे उजियालों तक
अच्छे दिन लाने वालों को देख लिया दस सालों तक
अब जाना प्रतिपक्ष जनों के संग बहुत जरूरी है
शासन से और सत्ता से मोहभंग बहुत जरूरी है
दस वर्षों के इस शासन ने किया न कुछ आराम किया है
भोली-भाली-सीधी जनता को ठगने का काम किया है
सता रहे थे जो उनको अब करना तंग जरूरी है
शासन से और सत्ता से मोहभंग बहुत जरूरी है
जीत गए दो बार भले थे बाहुबल और धन-बल से
निकल रहा है जन-जन लेकिन इस मिथ्या के दलदल से
धनकुबेर के हाथ में सब, हुड़दंग बहुत जरूरी है
शासन से और सत्ता से मोहभंग बहुत जरूरी है
— विक्रम कुमार