योग पर 4 दोहा मुक्तक
1.
योग दिवस फिर आ गया, शुरू करें सब लोग।
काया कल्प होता सिद्ध, नया नहीं न प्रयोग।।
मिलकर घर में सब करें, पाएं सुन्दर स्वास्थ्य।
सौम्य शान्ति बढ़ती रहे, स्थिर सौहार्द पाथ्य।।
2.
भारत में पैदा हुआ, पहुँचा चारों ओर।
योग स्वास्थ्य का मूल है, मचा हुआ है शोर।।
इक्कीस जून सम्मति सधी, इसकी तिथि विशेष।
सनातन ग्रंथ की सीख, लाई वैश्विक भोर।।
3.
सदियों से प्रचलित रहा, करे विश्व स्वीकार।
ये देता उत्तम ज्ञान, करें सब अंगीकार।।
पीड़ित मानव को सदा, यह देगा उपचार।
संदेशा ये आज सभी , फैलाएं घर द्वार।।
4.
आसन करें कष्ट बिना, दो हों चाहे चार।
अधिक न हो गर्मी सर्दी, मंद ही चले बयार।।
थकान होने पर सदा, करें थोड़ा विश्राम।
सहज सिद्ध होता रहे, करें न मारामार।।
— अनूप कुमार सक्सेना