पुस्तक समीक्षा

मानवीय संवेदना व प्रकृति के बेहद करीब है काव्य कृति ‘साक्षी’

पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जाना हुआ काव्य पाठ व सम्मान के अतिरिक्त कालापीपल जिला शाजापुर मध्य प्रदेश निवासी कवयित्री व शिक्षिका श्रीमती साक्षी जैन द्वारा काव्य संग्रह साक्षी (मेरी लेखनी से) प्राप्त हुई। काव्य संग्रह का कवर बेहद आकर्षक है जिसमें कवयित्री के आराध्य देव कान्हा जी की तस्वीर व उनके चरणों की सेविका स्वयं साक्षी जैन की तस्वीर लगी है। काव्य संग्रह में कुल 63 रचनाएं प्रकाशित हैं। सुघड़ साहित्यकार साक्षी जैन द्वारा विरचित कविताओं में संवेदनशीलता का विस्तार है कवयित्री ने अपने लेखन के माध्यम से मानव समाज व प्रकृति के हर पहलू पर बखूबी लिखा है। जिसमें कान्हा के प्रति भक्ति, पूजनीय नारी शक्ति, प्रकृति प्रेम पर्यावरण संरक्षण व संतुलन , जीवों पर दया भाव को बड़ी संजीदगी से उकेरा है। वहीं समाज का सिर लज्जा से नीचे कर देने वाले दहेज़ दानव पर बड़ी प्रखरता के साथ अपनी बात रखती हैं। कवयित्री साक्षी जैन के हृदय में अब भी गांवों का रहन-सहन व जीवट्ता निवास करती है जिसे उन्होंने बखूबी लिखा है अपनी कविताओं में। वहीं मां बेटी का रिश्ता रचना के माध्यम से कवयित्री ने मानवीय संवेदना का जेष्ठ श्रेष्ठ उदाहरण पेश किया है। मुझे लगता है कि एक बेहतरीन पाठक जो यदि एक अच्छा और विचारशील प्रभावित करने वाले साहित्य की तलाश है तो ऐसे पाठक के हाथ में कवयित्री साक्षी जैन का काव्य संग्रह ‘साक्षी’ ( मेरी लेखनी से) अवश्य होना चाहिए। मेरा दावा है कि पाठक के हाथ में यदि कवयित्री साक्षी जैन की एक रचना लगी तो फिर पाठक अवश्य ही इनकी रचनाओं को ढूंढ ढूंढ कर पढे़गा। साक्षी जैन ज्यादा नहीं लिखती हैं, बेवजह नहीं लिखती हैं और इस बात को बखूबी प्रमाणित करती हैं कि ” जिनका लेखन कम होता है – उनके लेखन में दम होता है । इनकी रचनाएं समय की मांग है, संग्रह की सभी रचनाएं एक ही समय पर नहीं लिखी गई हैं इसलिये ये सब एक ही मूड की रचनाएं नहीं हैं लेकिन सभी रचनाओं का दायरा व्यापक है स्तर ऊंचा है। रचनाओं में कहीं कहीं साक्षी इतने कम शब्दों में बात कह देती हैं कि लगता है कि यह तो शब्दों की कंजूसी है , लेकिन जब उसी रचना को दो बार पढ़ा जाए तब अहसास होता है कि यह शब्दों की कंजूसी नहीं बल्कि शब्दों की फिजूलखर्ची पर आवश्यक नियंत्रण हैं। कवयित्री साक्षी जैन की रचनाएं कहीं पर तो भयानक तौर से सामाजिक रुढ़िवादियों से टकराती हैं।
मेरे हाथ में यह एक मुकम्मल काव्य संग्रह है जिसके लिए मैं कवयित्री साक्षी जैन को हार्दिक शुभकामनाएं बहुत बधाई देता हूं। शब्दों की अधिष्ठात्री देवी व कान्हा जी से आग्रह करता हूं कि कवयित्री साक्षी जैन का अगला काव्य संग्रह शीघ्र ही पाठकों के हाथ में हो ।

समीक्षक – आशीष तिवारी निर्मल

पुस्तक का नाम – साक्षी ( मेरी लेखनी से)
समीक्षक – आशीष तिवारी निर्मल।
रचनाकार – साक्षी जैन
संस्करण – प्रथम
पुस्तक कीमत – 199 रुपए
प्रकाशक – जे.एस.एम पब्लिकेशन आगरा ।

*आशीष तिवारी निर्मल

व्यंग्यकार लालगाँव,रीवा,म.प्र. 9399394911 8602929616