कविता

आज फिर तू याद आ गया

खुशियों का यह संसार,
मेरे जीवन की बहार
जब मेरे घर तू आया था
बहारों की हरियाली लाया था।

हम सब खुश थे तेरे आने पर बेटा,
तू हमारी उम्मीदों का सहारा था
बचपन का छोटा-सा बच्चा जब जवान हो गया,
मेरे कन्धों के बराबर खड़ा कदम मिलाकर चलने लगा।

तू हमारी आशा की किरणों का प्रकाश था,
तेरा विश्वास, मेरी उम्मीद थी
पर तू एक दिन अचानक मुझे अकेला छोड़,
दुनिया से अलविदा कर गया।

आज जब तेरा जन्मदिन है,
हम तुम्हें नहीं भूल पाते।
फिर पुरानी यादों के सहारे जी रहे हैं अकेले,
आज फिर तू याद आ गया॥

— हरिहर सिंह चौहान

हरिहर सिंह चौहान

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001 मोबाइल 9826084157