कविता

दर्द होता है

दर्द अपना हो या पराया,
दर्द होता है
बहुत मुश्किलों में जीवन ज़ीना पड़ता है
कोशिश लाख कर ले ज़िन्दगी,
पर हार नहीं मानता वही इंसान होता है।

हजारों सितम हैं ज़माने के,
गमों की चादर बिछी है
जब हमारे इरादे मजबूत हों तो,
हम तो लड़ लेंगे जमाने से
तब ही सपना सच होता है।

इन पथरीले रास्तों पर,
ठोकरें बहुत लगती है
क्योंकि दुखों के समंदर में हम,
सुखों की तलाश में हैं,
इसी लिए दर्द बहुत होता है।

हार-जीत, गम व ख़ुशी के बीच,
हम आगे बढ़ते जा रहे हैं।
क्योंकि दर्द अपना हो या पराया,
दर्द होता है॥

— हरिहर सिंह चौहान

हरिहर सिंह चौहान

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001 मोबाइल 9826084157